भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने जानलेवा पशु परीक्षण पर रोक लगाई
सेहतराग टीम
भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) ने जानवरों को जानलेवा परीक्षण हेतु इस्तेमाल करने व मार दिए जाने की प्रक्रिया में बदलाव किया है। इस पर PETA इंडिया से भी समर्थन मिला है। भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने वैक्सीन मोनोग्राफ में से 'असामान्य विषक्तता परीक्षण को हटा दिया है। असल में भारतीय फार्माकोपिया ही देश में बनने वाली और बिक्री होने वाली दवाओं हेतु परीक्षणों अनुमति देता है व उनका संकलन करता है।
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29 अप्रैल 2019 को IPC विशेषज्ञों की सांतवी समूह बैठक आयोजित हुई थी, जिसमें पशुओं पर परीक्षण न किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया था। और अब साइंटिफिक बॉडी की ओर से इस प्रस्ताव पर हरी झंडी मिलने के बाद इसे सार्वजानिक परामर्श के लिए जारी कर दिया है। PETA इंडिया ने भी इस बैठक में भाग लिया था और इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
अब संशोधन के अनुसार, IPC द्वारा कुछ दवाओं के निर्माण करने पर उनका गिनी पिग्स और चूहों पर अनिवार्य रूप से परीक्षण किए जाने की शर्त को समाप्त कर दिया है। दरअसल इन परीक्षणों में छोटे जीवों को एक टीका लगाया जाता है और अगर उनमें से कोई जीव नहीं मरता है तो उस दवा को मानव इस्तेमाल के लिए सुरक्षित मान लिया जाता है। इसके अलावा परीक्षण के दौरान कोई जानवर जिंदा भी रह भी जाता है तो उसे बाद में मार दिया जाता है। अब इस परीक्षण की अनिवार्यता को समाप्त करने से हर साल हजारों जीवों की जान बच जाएगी।
PETA इंडिया साइंस पॉलिसी एडवाइजर डॉ. दीप्ती कपूर कहती हैं, IPC द्वारा उठाए गए इस ऐतिहासिक कदम से गिनी पिग्स और चूहों को इस तरह के क्रूर और वैज्ञानिक रूप से दोषपूर्ण परीक्षणों में पीड़ित करके मारने पर रोक लग सकेगी। आने वाले समय में विज्ञान से संबंधित गतविधियों में पशुओं का इस्तेमाल नहीं होगा। PETA इंडिया यह सुनिश्चित करेगा कि पशुओं प्रयोगों को आधूनिक एवं मानवीय तरीकों से बदला जाए।
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